G News 24. बाड़मेर. दलित महिला अणसी देवी जिसने पूरी जिंदगी गांव के लोगों के घरों में मांगलिक अवसरों पर ढोल बजाकर और लोकगीत गाकर उनके घरों की खुशियां दोगुनी कर देती थी
लेकिन उस अणसी देवी के मृत शरीर को गांव के दबंग और तथा कथित लोगों ने मृत्यु के पश्चात् गांव के सार्वजनिक श्मशान घाट की मिट्टी तक नसीब नहीं होने दी . मृत्यु के उपरान्त भी मृत शरीर को दफनाने के लिए 2 गज जमीन भी नसीब नहीं होने देने का मामला सरहदी बाड़मेर जिले के ग्राम पंचायत रामसर का कुआ की घटना है जहाँ दलित वर्ग से आने वाली 90 वर्षीय अणसी देवी के मृत शरीर को दफ़नाने के तीन दिन बाद 30 जून को गाँव के दबंग प्रवृत्ति के तथाकथित लोगों ने जेसीबी से निकलवा कर मिट्टी सहित सरपंच विशनाराम जाट के टेक्टर में भरवा कर परिवार जनों को यह तालिबानी फैसला सुना कर सौप दिया कि " इसे अपने ही घर में दफनाओ " ।
दलित अणसी देवी का शव 3 दिन बाद जेसीबी से खुदाई कर दबंगों ने बाहर निकाला
बाड़मेर जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर रामसर का कुआ ग्राम पंचायत में दलित वर्ग में आने वाली ढाढ़ी जाति की 90 वर्षीय अणसी देवी का 27 जून को देहान्त हुआ था . जिसके उपरांत परिजनों और समाज के लोगों ने गांव के ही घोनरी नाडी के पास स्थित सार्वजनिक श्मशान घाट की चार दिवारी के पास उसको दफनाया था . इसका पता चलते ही गांव के ही सरपंच विशनाराम जाट सहित कई दबंगों ने परिवार पर दबाव बनाया कि शव को यहाँ से बाहर निकाल कर राव सर स्थित श्मशान घाट में दफनाओं . गौरतलब है कि ग्राम पंचायत बनने से पूर्व पंचायत का हिस्सा था . जाति के एक युवक निधन होने के कारण कुआ ग्राम रावतसर में उसका शव सार्वजनिक श्मशान घाट में दफनाया तो गाँव वालों ने कहा था कि अब आपकी ग्राम पंचायत अलग बन गई है , आगे से आप अंतिम संस्कार अपनी ग्राम पंचायत में ही करना .
इस वजह से अणसी देवी के परिजनों ने उसका अंतिम संस्कार अपनी पंचायत के सार्वजनिक शमशानघाट के पास किया सबसे बड़ी हैरत की बात है कि जब सरपंच विशनाराम जाट सहित कई दबंग अणसी देवी के परिजनों को 27 जून के बाद से शव वापिस निकालने के लिए धमका रहे थे तब परिजनों ने जिला कलेक्टर लोक बंधु को इसकी सूचना भी दी . - इसके बाद 30 जून को बाड़मेर ग्रामीण तहसीलदार चन्दन पंवार तर का कुआ में जाकर अणसी देवी के परिजनों को कहा कि आपने गौचर में दफना कर बहुत बड़ा जुर्म कर दिया है , इसको वापिस निकलवा कर अपने घर में दफन करो . शव को वापिस निकालने पर परिजनों की सहमति के तौर पर जबरन ही लिखवा लिया की हमने भूल से गौचर में शव को दफना दिया था ।